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ज़िला स्तर पर प्रथम बाल्यावस्था विकास कार्यक्रम का प्रशिक्षण सह आधारभूत निष्कर्षों का प्रसार का हुआ आयोजन ll

पूर्णिया जिले के मेफेयर होटल में प्रथम बाल्यावस्था विकास (ECD) कार्यक्रम पर एक दिवसीय जिला स्तरीय अभिमुखीकरण का आयोजन किया गया।

आज पूर्णिया जिले के मेफेयर होटल में प्रथम बाल्यावस्था विकास (ECD) कार्यक्रम पर एक दिवसीय जिला स्तरीय अभिमुखीकरण का आयोजन किया गया। यह बैठक यूनिसेफ(आरपीसीएयू), पूसा और जिला आईसीडीएस विभाग, पूर्णिया के संयुक्त प्रयास से आयोजित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्णिया के जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने की।

इस दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि प्रथम बाल्यावस्था विकास कार्यक्रम को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने के लिए विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया और इन कार्यक्रमों में यूनिसेफ द्वारा दिए जा रहे तकनीकी सहयोग की सराहना की। अपने स्वास्थ्य कर्मियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा “हर लाभार्थी को अपना समझें और उनके कल्याण के लिए व्यक्तिगत रूप से प्रयास करें।” उन्होंने जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य व पोषण सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।

कार्यक्रम में बायसी प्रखंड में किए गए बेसलाइन सर्वेक्षण के निष्कर्षों को प्रस्तुत किया गया। इस सर्वेक्षण ने क्षेत्र में प्रथम बाल्यावस्था विकास से संबंधित चुनौतियों और अवसरों को रेखांकित किया। मुख्य अतिथियों और प्रतिभागियों की भूमिका

इस आयोजन में आईसीडीएस जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ), जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ), स्वास्थ्य विभाग के जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम), जिला मूल्यांकन एवं अनुश्रवण पदाधिकारी, जिला स्वास्थ्य समिति, सभी प्रखंडों के बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (सीडीपीओ), और सभी प्रखंड के चिकित्सा पदाधिकारी सहित अन्य जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे। प्रतिभागियों ने ईसीडी के महत्व और इसके सफल क्रियान्वयन के लिए बहु-क्षेत्रीय समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया।

 

जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि “प्रारंभिक बाल्यावस्था विकास बच्चों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने और उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण माध्यम है। ईसीडी कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए विभागों के बीच समन्वय और समुदाय के साथ सक्रिय भागीदारी अत्यंत आवश्यक है।” जिलाधिकारी ने इस कार्यक्रम से सम्बंधित सभी प्रखंड एवं समुदाय स्तरीय प्रशिक्षण को बहुत ही सरल भाषा में बोधगम्य तरीके से आयोजित किये जाने की जरुरत पर बल दिया ।

यूनिसेफ की पोषण पदाधिकारी डॉ. शिवानी दर ने अपने प्रस्तुतीकरण के दौरान जिला स्तर पर प्रथम बाल्यावस्था विकास (ईसीडी) कार्यक्रम से सम्बंधित बेसलाइन निष्कर्षों को साझा किया एवं इस जिले में क्रियान्वित कार्यक्रम से संबंधित मौजूदा चुनौतियों और रणनीतियों को साझा किया। उन्होंने कहा कि “प्रभावी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समन्वित और ठोस प्रयास आवश्यक हैं।”

कार्यक्रम के प्रमुख बिंदु :

बैठक में निम्नलिखित विषयों पर चर्चा की गई और ठोस कार्ययोजनाएँ बनाई गईं:

1. समुदाय स्तर पर आंगनबाड़ी सेविका एवं आशा को समुदाय को ईसीडी के महत्व के बारे में जागरूक करना है एवं 0 से 6 वर्ष के बच्चों के अभिभावकों के साथ बैठक आयोजित कर बच्चों के बौद्धिक विकास, सामाजिक विकास एवं भावनात्मक विकास को बढ़ानेवाली घरेलू गतिविधियों को साझा करना है।

2. आशा एवं आंगनवाडी सेविका द्वारा छोटे बच्चों (0-3 वर्ष) के घरों में गृह भ्रमण कर-

• बच्चे की ग्रोथ मोनिटरिंग करना, विकासात्मक देरी, कुपोषण, या स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाना। माता-पिता और अभिभावकों को ईसीडी के महत्व और बच्चों के समग्र विकास में उनकी भूमिका के बारे में जानकारी देना।

• कुपोषित बच्चों, टीकाकरण, और एमसीपी कार्ड में वर्णित विकासात्मक मील के पत्थरों की नियमित निगरानी।

• बच्चों के साथ उनके माता-पिता या घर के दुसरे सदस्यों द्वारा उम्र-आधारित बाल्यावस्था उत्प्रेरण (stimulation) से सम्बंधित गतिविधि/खेल करना ताकि बच्चे का समग्र विकास संभव हो ।

• पूरक आहार शुरू करने के समय, मात्रा और विविधता पर चर्चा।

• खेल और बातचीत के माध्यम से सीखने को प्रोत्साहित करना।

3. पोषण और स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए समग्र और प्रभावी रणनीतियाँ अपनाना।

भविष्य की कार्ययोजना :

कार्यक्रम के अंत में जिला स्तरीय अधिकारियों और विभागों ने मिलकर एक कार्ययोजना तैयार की। इसमें आंगनवाड़ी केंद्रों को ईसीडी अनुकूल बनाने, स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने और समुदाय आधारित जागरूकता अभियान चलाने जैसे कदम शामिल हैं।

कार्यक्रम का समापन में जिलाधिकारी द्वारा सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापन और आगामी कार्यों में सक्रिय सहयोग का आह्वान करते हुए किया गया। यूनिसेफ और आरपीसीएयू ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए तकनीकी सहायता और सहयोग का आश्वासन दिया। इस आयोजन ने जिले में प्रारंभिक बचपन विकास के लिए एक मजबूत आधारशिला रखी है, जिससे क्षेत्र के बच्चों को एक बेहतर भविष्य प्रदान करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकेंगे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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